उत्तराखंड सरकार ने पतंजलि के 14 उत्पादों के लाइसेंस को रद्द किया:

उत्तराखंड सरकार ने पतंजलि के 14 उत्पादों के लाइसेंस को रद्द किया:

बाबा रामदेव के नाम से जानी जाने वाली पतंजलि आयुर्वेद और दिव्य फार्मेसी के करीब 14 उत्पादों के मैन्युफैक्चरिंग लाइसेंस को उत्तराखंड सरकार ने सस्पेंड कर दिया है। इस फैसले का मुख्य कारण है भ्रामक विज्ञापन केस।Get the latest updates on the Supreme Court's decision to suspend manufacturing licenses for nearly 14 products of Baba Ramdev's Patanjali Ayurved and Divya Pharmacy. Learn about the implications and the ongoing controversy surrounding misleading advertisements.

भ्रामक विज्ञापनों की वजह से फैसला:

उत्तराखंड सरकार ने सोमवार को पतंजलि की आदेश बैन करने का आदेश भी जारी किया। इसमें कहा गया कि पतंजलि आयुर्वेद के प्रोडक्ट्स के बारे में बार-बार भ्रामक विज्ञापन प्रकाशित करने के कारण कंपनी के लाइसेंस को रोका गया है।

सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा:

उत्तराखंड सरकार की लाइसेंस अथॉरिटी ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर कर दी। सुप्रीम कोर्ट ने भ्रामक विज्ञापनों को रोकने के निर्देश दिया था।

उत्तराखंड सरकार ने पतंजलि के 14 उत्पादों की मैन्युफैक्चरिंग लाइसेंस सस्पेंड की

उत्तराखंड सरकार ने पतंजलि आयुर्वेद और दिव्य फार्मेसी की लगभग 14 प्रोडक्ट्स के मैन्युफैक्चरिंग लाइसेंस को सस्पेंड कर दिया है। यह निर्धारण उत्तराखंड सरकार की ओर से सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर कर दिया गया है।

क्यों हुआ सस्पेंड?

उत्तराखंड सरकार की लाइसेंस ऑथोरिटी ने प्रोडक्ट्स पर आदेश बैन का आदेश भी जारी किया। उसमें कहा गया कि पतंजलि आयुर्वेद के प्रोडक्ट्स के बारे में बार-बार भ्रामक विज्ञापन प्रकाशित करने के कारण कंपनी के लाइसेंस को रोक दिया गया है। दिव्य फार्मेसी पतंजलि प्रोडक्ट्स की मैन्युफैक्चरिंग करती है।

क्या है आदेश में?

राज्य की लाइसेंस अथॉरिटी ने बाबा इस फर्म की 14 दवाओं के उत्पादन को रोकने का निर्देश दिया है, जो खांसी, ब्लड प्रेशर, शुगर, लिवर, गोइटर और आई ड्रॉप के लिए इस्तेमाल की जाने वाली हैं।Get the latest updates on the Supreme Court's decision to suspend manufacturing licenses for nearly 14 products of Baba Ramdev's Patanjali Ayurved and Divya Pharmacy. Learn about the implications and the ongoing controversy surrounding misleading advertisements.

सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई

सुप्रीम कोर्ट ने पतंजलि के मामले की सुनवाई करने का निर्देश दिया है। अब सुप्रीम कोर्ट कल (30 अप्रैल) को पतंजलि के मामले की सुनवाई करेगी, ताकि यह तय किया जा सके कि रामदेव के खिलाफ अवमानना का आरोप लगाया जाए या नहीं।

डॉक्टरों ने उठाई आलोचना

इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) के प्रेसिडेंट ने बाबा रामदेव की आलोचना की, कहा कि उन्होंने मॉडर्न मेडिसिन को बेकार और दिवालिया साइंस कहा था। इस विवाद में सुप्रीम कोर्ट ने भ्रामक विज्ञापनों को रोकने का निर्देश भी दिया था।

भविष्य की सोच

पतंजलि आयुर्वेद ने माफीनामा प्रकाशित किया है और सुप्रीम कोर्ट का सम्मान किया है। उन्होंने भविष्य में ऐसी गलती दोहराने का आश्वासन दिया है।

सुप्रीम कोर्ट का निर्देश

सुप्रीम कोर्ट ने FMCG कंपनियों और डॉक्टरों पर भी सवाए उठाए। उन्होंने बताया कि ऐसे भ्रामक विज्ञापनों की वजह से जनता को धोखा होता है। इसमें शिशुओं, बच्चों और बुजुर्गों की सेहत पर असर होता है। इसके अलावा, कोर्ट ने राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी) को भी प्रतिवादी बनाने का आदेश दिया।

कोर्ट का डॉक्टरों को निर्देश

सुप्रीम कोर्ट ने इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) को भी आलोचना की, कहा कि वे अपने सदस्यों के अनैतिक आचरण के मामले में कार्रवाई करें। कोर्ट ने इस पर यह ध्यान दिलाया कि डॉक्टरों के द्वारा महंगी दवाओं का प्राचीन किया जाना अनैतिक है।Get the latest updates on the Supreme Court's decision to suspend manufacturing licenses for nearly 14 products of Baba Ramdev's Patanjali Ayurved and Divya Pharmacy. Learn about the implications and the ongoing controversy surrounding misleading advertisements.

फास्ट-मूविंग कंज्यूमर गुड्स कंपनियों पर नजर

कोर्ट ने फास्ट-मूविंग कंज्यूमर गुड्स (FMCG) कंपनियों के भ्रामक विज्ञापनों पर भी ध्यान दिया। उन्होंने तीन केंद्रीय मंत्रालयों से इस दिशा में उठाए गए कदमों के बारे में जानने का निर्देश दिया। इसका मुख्य उद्देश्य जनता को धोखा देने वाले भ्रामक विज्ञापनों को रोकना है।

आगे की कार्रवाई का इंतजार

पतंजलि के मामले में अगली सुनवाई 30 अप्रैल को होगी। सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी) को भी इस मामले में प्रतिवादी बनाने का निर्देश दिया है।

इस विवाद में उत्तराखंड सरकार, पतंजलि, इंडियन मेडिकल एसोसिएशन और फास्ट-मूविंग कंज्यूमर गुड्स कंपनियों के बीच तनाव बढ़ गया है। कोर्ट ने इस मामले को गंभीरता से लिया है और आगे की कार्रवाई का इंतजार है।

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